Thursday, January 12, 2017

नौकरी छोड़ ‘खेती से लखपति’ बनने की मिसालभरी कहानी



  ‘ग्राउंड जीरो के पहले एपिसोड में पढ़िए रवि पाल की कहानी । मैनपुरी के इस युवा किसान ने लिखी है सफलता की नई इबारत । अमूमन उम्र के जिस पड़ाव पर युवा मौजमस्ती करता है उस उम्र में रवि कई किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरे हैं । सफलता का पर्याय बन चुके रवि पाल के लिए इस मंजिल तक पहुंचना कतई आसान नहीं था। इसके पीछे छिपा है उनका वो दिलेर फैसला जिसे लेने की कुव्वत बिरले लोगों में ही होती है। जिन खतरों के बारे में हम और आप सिर्फ सोच सकते हैं, रवि पाल ने उन खतरों से दो-दो हाथ किए । आज से लगभग 2 साल पहले रवि ने एक अच्छी खासी नौकरी से जब इस्तीफा दिया तो घरवालों ने विरोध किया क्योंकि हर मां-बाप का यही सपना होता है कि उनका बेटा पढ़- लिखकर एक दिन अच्छी-खासी नौकरी करे । कुछ लोग से होते हैं जो वक्त के सांचे में ढल जाते हैं लेकिन रवि पाल जैसे लोग वक्त को सांचे में ढाल देते हैं । जिनके सपनों की उड़ान इतनी ऊंची होती है कि आसमां भी छोटा नज़र आने लगता है । दिसंबर 2014 में रवि ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। रवि एलएनटी और कोटेक महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियों में अच्छी पोजीशन पर थे। एमबीए डिग्री होल्डर के इस फैसले से हर कोई हैरान था। लेकिन रवि को तो वही करना था जो उन्हें भाता था। जिसे करके उन्हे सुकूं आता था। जिसे करने को उनका दिल हिलोरें मारता था। दिल्ली-एनसीआर जैसे मेट्रो सिटी में 10-7 ऑफिस की नौकरी, एसी के अंदर टाई लगाकर सूटबूट पहनकर बैठने वाले रवि अब पहुंच चुके थे मैनपुरी की चिलचिलाती धूप के खेतों में किसानी करने । लेकिन रवि के दिलोदिमाग में थी कुछ अलग करने की चाहत, कामयाबी का जुनून और विश्वास का जज़्बा। रवि ने जब ज़ीरो से शुरुआत की तो आखिर उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा, कैसे रवि पाल का नाम आज सफल किसानों में शुमार किया जाता है, कैसे रवि पाल ने इतना मुश्किल फैसला लिया? ये सब जानने के लिए आपको पढ़ना होगा ये एपिसोड। क्योंकि ग्राउंड जीरो ने की है रवि पाल की तहक़ीक़ात । लीजिए पेश है ग्राउंड जीरो से रवि पाल की रिपोर्ट-

सवाल- सबसे पहले आप अपने बारे में बताइए ।

जवाब- मेरा नाम रवि पाल है। मूल रूप से मैनपुरी के बेवर कस्बे के पद्मपुर छिबकरिया गांव का रहने वाला हूं।

सवाल- अपनी शुरुआती पढ़ाई के बारे में बताइए।

जवाब-  गांव की ही प्राइमरी पाठशाला से पांचवी तक पढ़ाई की उसके बाद क्रिश्चियन इंटर कॉलेज मैनपुरी से हायर सेकेंडरी की शिक्षा ली। श्री चित्रगुप्त डिग्री कॉलेज से स्नातक किया । एमबीए का कोर्स करने के लिए मथुरा का रुख किया जहां सचदेवा इंस्टीट्यूय ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया ।


सवाल- आपने एमबीए किया है दिल्ली में मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करते थे । फिर अचानक खेती करने का ख्याल कैसे आया ?

जवाब- पहली बात तो यह कि मैं हमेशा से कुछ अलग करना चाहता था। लेकिन कुछ परेशानियों के चलते अपना काम शुरु नहीं कर पा रहा था। जिससे संतुष्टि नहीं मिल पा रही थी। नौकरी करने से सिर्फ मेरा ही भला हो रहा था लेकिन मैं कुछ सा करना चाहता था जिससे लोग मुझसे जुड़ें और उससे सिर्फ मेरा ही फायदा न होकर ज्यादा से ज्यादा लोगों का फायदा हो। तो कहीं-न-कहीं ये बहुत बड़ी वजह साबित हुई नौकरी छोड़ने की ।

सवाल- जब आपने नौकरी छोड़ी उसके बाद घरवालों का क्या रिएक्शन था ? कितना विरोध सहना पड़ा ?

जवाब- विरोध तो बहुत सहना पड़ा लेकिन मैंने भी जिद कर ली कि अब तो कुछ हासिल करना है 
। घरवाले भी अपनी जगह पर सही थे आखिर पूरे परिवार में मैं ही अकेला कमाने वाला । घरवालों के साथ-साथ आसपास के लोगों के ताने भी सुनने पड़े- कि चार दिन धूप में खेत जाना पड़ेगा तो पता चल जाएगा परदेसी बाबू को

सवाल- एक तरफ जहां देश का किसान बदहाली में गुजर-बसर कर रहा है, आत्महत्या कर रहा है, से में आपने किसानी को अपना पेशा बनाया और गेंदे की फसल उगायी?

जवाब- इस फैसले को लेने के पीछे एक घटना का जिक्र करना चाहता हूं। हमारे गांव में नीलगाय का बहुत आतंक है, जो कि बीघे-बीघेभर फसल को चौपट कर देती हैं, जिससे किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है । तो मैंने सोचा क्यों न इस चुनौती को स्वीकार किया जाए और मैंने एक सी फसल उगानी चाही जिसे नीलगायों से कोई खतरा न हो।

सवाल-  हमारे दर्शकों को गेंदे की फसल के बारे में बताइए।

जवाब- गेंदे की फसल को नीलगाय बिल्कुल भी नुकसान नहीं पहुंचाती है और यह बहुत ही कम समय में तैयार होने वाली फसल है । साथ-ही-साथ फसल को लगाने में लागत भी कम आती है जिससे किसान को मुनाफा ज्यादा मिलता है

सवाल- आपने गेंदे की फसल कैसे उगायी ?

जवाब- शुरुआत में मैंने दो बीघे में गेंदे की फसल लगायी। जिससे 5 महीने में लगभग 75 हजार का फायदा हुआ। धीरे-धीरे दायरा बढ़ाता गया। अब लगभग 6 बीघे में गेंदे की फसल लगाई है । दिल्ली और आगरा के फूलों की मंडियों में हमारे गेंदे की भारी डिमांड है । जिसके चलते हर सीजन से अब लगभग 2 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है




सवाल- गेंदे की प्रजाति के बारे में बताइए। आपने कौन सी प्रजाति लगाई है ?

जवाब- शुरुआत में ज्यादा पता नहीं था। जो प्रजाति लगाई उससे ज्यादा पैदावार नहीं हुई। बाद में कलकत्ता से कलकतिया बीज मंगाया । उसकी पैदावार  बड़ी अच्छी रही । कलकतिया प्रजाति की सबसे अच्छी बात यह है कि खाद कम डालनी पड़ती हैपैदावार बढ़िया है। 25 दिन के अंदर पौधा तैयार हो जाता है, 50-60 दिन के अंदर फूल आने लगते हैं और ढाई से तीन महीने बाद कमाई होने लगती है । इसके अलावा मैंने इस बार थाईलेंड से भी गेंदे के बीज मंगाए हैं।

सवाल- थाईलेंड के गेंदे की क्या खासियत है ?

जवाब- अमूमन हमारे देश में जो भी गेंदे पाए जाते हैं वो सिर्फ तीन-चार महीने तक ही फसल दे पाते हैं जबकि थाईलेंड के गेंदे बारह महीने फूल देते हैं

सवाल- आप एमबीए हैं,  पढे-लिखे किसान हैं । पढ़ाई का कितना यूज करेंगे खेती में ?

जवाब- अक्सर लोग कहते हैं कि किसानी का पढ़ाई-लिखाई से क्या ताल्लुक। लेकिन सा नहीं है, पढ़ाई-लिखाई का किसानी से संबंध हैसा भी नहीं है कि जो पढ़ा-लिखा नहीं है वो किसानी नहीं कर सकता। मेरे कहने का मतलब है पढ़ा-लिखा आदमी अनपढ़ किसान से ज्यादा पै दावार करेगा। ज्यादातर किसान अनपढ़ होने से किसानी का सही गणित नहीं लगा पाते कि कितने हेक्टेयर फसल में कितनी खाद पड़ेगी, कितनी बीज पड़ेगी या फिर सिंचाई के दौरान पानी की मात्रा क्या होगी। इसलिए एमबीए होने के नाते, पढ़ा-लिखा होने के नाते में केलकुलेटेड खेती करूंगा। जो कि पूरी तरह से व्यावसायिक होगी।

सवाल- अभी मुख्य रुप से किस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं?

जवाब- मैं अभी जैविक खेती पर काम कर रहा हूं।

सवाल- जैविक खेती क्या होती है ?

जवाब- जैविक खेती का मतलब है शुद्ध और परंपरागत खेती। पैदावार बढ़ाने के लिए आज का किसान खेती में अनावश्यक रूप से रासायनिक तत्वों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है जो कि अनाज को जहरीला बना रहा है । यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । लेकिन जैविक खेती में शुद्ध घरेलू खाद का इस्तेमाल किया जाता है जिससे ज़मीन की उर्वरा भी बना रहती है और अनाज भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है

सवाल- किसानों की दुर्दशा कैसे दूर की जा सकती है ?

जवाब- पहली बात तो किसान की फसल का सही मूल्य निर्धारण होना चाहिए। दूसरी बात लागत मूल्य से दोगुने पर फसल बीमा होना चाहिए। मेरी कोशिश है कि आगे आने वाले समय में मैं खुद 
किसानों की फसल लागत से दुगुने मूल्य पर बिकवाऊं।


सवाल- अगर कोई किसान या इच्छुक व्यक्ति आपसे संपर्क करना चाहे तो कैसे करे ?

जवाब- मेरी ई-मेल आईडी Ravi.pal1989bsc@gmail.com पर संपर्क कर सकता है या फिर मुझे फेसबुक पर (Ravi Pal) फॉलो कर सकता है

सवाल- ग्राउंड जीरोके बारे में क्या कहना चाहेंगे ?

जवाब- आप लोगों की तरफ से ये बहुत ही अच्छी पहल है । सेलिब्रिटीज को तो लोग जानते ही हैं लेकिन इस प्लेटफॉर्म की वजह से पहली बार उन लोगों के बारे में भी पढ़ने-सुनने और जानने को मिलेगा जिनका परिचय तो साधारण है लेकिन उपलब्धि बड़ी। जिन्होंने परिवर्तन के लिए बिगुल बजा दिया है

                                                                 साभार-ग्राउंड जीरो


(ग्राउंड ज़ीरो के अगले एपिसोड में पढ़िए मिसाल कायम करने वाले एक और धमाकेदार शख्स का इंटरव्यू, जो होगा हमारे और आपके बीच का )

(अगर आपके पास भी है किसी से शख्स की कहानी जिसने किया है सोचने पर मजबूर। वो आप खुद भी हो सकते हैं, आपका कोई जानने वाला हो सकता हैं, आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार भी हो सकता है। तो आप हमें बताइए। हम करेंगे ग्राउंड ज़ीरो से पड़ताल और छापेंगे उसकी मिसालभरी दास्तां। देखेंगे दुनिया उसकी नज़र से। )   

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3 comments:

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    1. मुझे बहुत ख़ुशी है कि आज कलम के सिपाई के द्वारा आतंकवाद, प्रदूषण, धार्मिक उन्माद, सामाजिक अंतद्र्वंद और महंगाई जैसी समस्याओं के साथ साथ किसानो के कार्य को प्रोत्साहित किया जा रहा है . बहुत बहुत आभार विशाल दुवे जी का।आप अपनी कलम के माध्यम से एक नेक और सराहनीय कार्य कर रहे हो जो ग्राउंड ज़ीरो’ से ‘रियल हीरोज’ को खोज कर रियल स्टोरीज के माध्यम से एक नयी चेतना जगा रहे हो।

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